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व्यंग्य: आलस्य-भक्त by Babu Gulabrai

जनवरी 08, 2017 ・0 comments
अजगर करै न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कह गए, सबके दाता राम ।। 1 प्रिय ठलुआ-वृंद! यद्यपि हमारी सभा समता के पहियों पर चल रही है और ...
व्यंग्य: आलस्य-भक्त by Babu Gulabrai
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