कौन सिखाता है चिड़ियों को चीं-चीं, चीं-चीं करना? कौन सिखाता फुदक-फुदक कर उनको चलना फिरना? कौन सिखाता फुर्र से उड़ना दाने चुग-चुग खाना? कौन सिखाता तिनके ला-ला कर घोंसले बनाना? कौन सिखाता है बच्चों का लालन-पालन उनको? माँ का प्यार, दुलार, चौकसी कौन सिखाता उनको? कुदरत का यह खेल, वही हम सबको, सब कुछ देती। किन्तु नहीं बदले में हमसे वह कुछ भी है लेती। हम सब उसके अंश कि जैसे तरू-पशु–पक्षी सारे। हम सब उसके वंशज जैसे सूरज-चांद-सितारे। - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
हिन्दी की प्रसिद्ध रचनाओं का सन्कलन Famous compositions from Hindi Literature