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उधो मनकी मनमें रही

जनवरी 17, 2016 ・0 comments
उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥ गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥ पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥ तन...
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प्रेमचंद की कहानियाँ: वरदान

जनवरी 10, 2016 ・0 comments
विन्घ्याचल पर्वत मध्यरात्रि के निविड़ अन्धकार में काल देव की भांति खड़ा था। उस पर उगे हुए छोटे-छोटे वृक्ष इस प्रकार दष्टिगोचर होते थे, मानो...
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भारतीय रेल

जनवरी 03, 2016 ・0 comments
एक बार हमें करनी पड़ी रेल की यात्रा देख सवारियों की मात्रा पसीने लगे छूटने हम घर की तरफ़ लगे फूटने   इतने में एक कुली आया और हमसे फ़रमाया स...
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