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उधो मनकी मनमें रही

जनवरी 17, 2016 ・0 comments
उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥ गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥ पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥ तन...
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होली

मार्च 21, 2008 ・0 comments
~~ सूरदास ~~ हरि संग खेलति हैं सब फाग। इहिं मिस करति प्रगट गोपी: उर अंतर को अनुराग।। सारी पहिरी सुरंग , कसि कंचुकी , काजर दे दे नैन। बनि ब...
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मैया मैं नहीं माखन खायौ

फ़रवरी 13, 2008 ・1 comments
~1~ मैया मैं नहीं माखन खायौ ॥ ख्याल परै ये सखा सबै मिलि, मेरैं मुख लपटायौ ॥ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँचैं धरि लटकायौ ॥ हौं जु...
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