शब्दार्थ

मई 10, 2015 ・0 comments

रोज़े-रिन्दी= शराब पीने का दिन
नसीबे-दीगराँ =दूसरों की क़िस्मत में
 क़ूवत =ताक़त
मक़सूद = मनोरथ
अनवर-ए-इलाही= दैवी प्रकाश
फ़ितरत= प्रकृति
वां  = वहाँ
यां  = यहाँ
वाइज़   = धर्मोपदेशक 
तलबगार  =   इच्छुक, चाहने वाला
ज़ीस्त= जीवन
लज़्ज़त= स्वाद
 ख़ाना-ए-हस्त= अस्तित्व का घर
बेलौस= लांछन के बिना
 फ़क़्त= केवल
नक़्श= चिन्ह, चित्र
अफ़सुर्दा= निराश
इबारत= शब्द, लेख
हाजित(हाजत)= आवश्यकता
 जो’फ़(ज़ौफ़)= कमजोरी, क्षीणता
 गुल= फूल
 ख़िज़ां= पतझड़
ख़ार= कांटा
 महफ़ूज़= सुरक्षित
इनायत= कृपा
 तलबगार= इच्छुक
अफ़सुर्दगी-ओ-जौफ़= निराशा और क्षीणता; 
क़ाफ़िर= नास्तिक
दींदार=आस्तिक,धर्म का पालन करने वाला। 

एक टिप्पणी भेजें

हिन्दी की प्रसिद्ध कवितायें / रचनायें
Published on http://rachana.pundir.in

If you can't commemt, try using Chrome instead.