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ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे

अप्रैल 18, 2023 ・0 comments
  ग़ज़ल सुदर्शन फ़ाकिर  ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे किसे क्या ख़बर है कहाँ टूट जायें मुहब्बत के दरिया में तिनके वफ़ा के न जाने ये कि...
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