#1 धुन ये है आम तेरी रहगुज़र होने तक अप्रैल 18, 2023 ・0 comments ・Topic: कृष्ण बिहारी नूर ग़ज़ल कृष्ण बिहारी 'नूर' की ग़ज़ल धुन ये है आम तेरी रहगुज़र होने तक हम गुज़र जाएँ ज़माने को ख़बर होने तक मुझको अपना जो बनाया है तो एक और ... Read post
#2 ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे अप्रैल 18, 2023 ・0 comments ・Topic: ग़ज़ल धागे रिश्ते शीशे सपने सुदर्शन फ़ाकिर ग़ज़ल सुदर्शन फ़ाकिर ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे किसे क्या ख़बर है कहाँ टूट जायें मुहब्बत के दरिया में तिनके वफ़ा के न जाने ये कि... Read post
#3 दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा अप्रैल 18, 2023 ・0 comments ・Topic: ग़ज़ल सुदर्शन फ़ाकिर Urdu दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा बस तेरा नाम ही लिखा देखा तेरी आँखों में हमने क्या देखा कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा अपनी सूरत लगी पराई सी जब क... Read post
#4 फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा भी न था नवंबर 16, 2015 ・0 comments ・Topic: अदीम हाशमी ग़ज़ल फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा भी न था सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था वो के ख़ुश-बू की तरह फैला था चार सू मैं उसे महसूस कर सकता था छू ... Read post