#1

सब जीवन बीता जाता है

जुलाई 18, 2008 ・0 comments
सब जीवन बीता जाता है सब जीवन बीता जाता है धूप छाँह के खेल सदॄश सब जीवन बीता जाता है समय भागता है प्रतिक्षण में , नव - अतीत ...
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#2

एक तिनका

जुलाई 13, 2008 ・2 comments
एक तिनका मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ ...
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#3

श्री रामचरित मानस

जुलाई 06, 2008 ・0 comments
श्री रामचरित मानस पारायण विधि">00 पारायण विधि बालकाण्ड">01 बालकाण्ड अयोध्याकाण्ड">02 अयोध्याकाण्ड अरण्यकाण्ड"...
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#4

जून 29, 2008 ・0 comments
    हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनिया...
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#5

कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया

जून 29, 2008 ・0 comments
वो लोग बहुत ख़ुशक़िस्मत थे जो इश्क़ को काम समझते थे या काम से आशिक़ी करते थे हम जीते जी मसरूफ़ रहे कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया काम इश्क़ के...
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#6

नींद आती ही नहीं

जून 29, 2008 ・0 comments
नींद आती ही नहीं नींद आती ही नहीं धड़के की बस आवाज़ से तंग आया हूँ मैं इस पुरसोज़ दिल के साज से दिल पिसा जाता है उनकी चाल के अन्दाज़ स...
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#7

गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तकें

जून 28, 2008 ・0 comments
गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तकें गीताप्रेस गोरखपुर व्यक्तिगत उपयोग के लिए कुछ पुस्तकें मुफ्त डाऊनलोड के लिए उपलब्ध करता है। इसकी सारणी नीचे दी...
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