#1

कोयल

नवंबर 25, 2013 ・0 comments
काली-काली कू-कू करती, जो है डाली-डाली फिरती! कुछ अपनी हीं धुन में ऐंठी  छिपी हरे पत्तों में बैठी जो पंचम सुर में गाती है वह ही...
 कोयल
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#2

कर्मवीर | karmveer

मार्च 13, 2010 ・1 comments
Karmveer कर्मवीर देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं काम कितना ही कठिन हो किन्तु उबताते नहीं भी...
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#3

एक तिनका

जुलाई 13, 2008 ・2 comments
एक तिनका मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ ...
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