#1 कोयल नवंबर 25, 2013 ・0 comments ・Topic: अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध काली-काली कू-कू करती, जो है डाली-डाली फिरती! कुछ अपनी हीं धुन में ऐंठी छिपी हरे पत्तों में बैठी जो पंचम सुर में गाती है वह ही... Read post
#2 कर्मवीर | karmveer मार्च 13, 2010 ・1 comments ・Topic: अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Karmveer कर्मवीर देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं काम कितना ही कठिन हो किन्तु उबताते नहीं भी... Read post
#3 एक तिनका जुलाई 13, 2008 ・2 comments ・Topic: अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध एक तिनका मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ ... Read post
#4 बूँद फ़रवरी 05, 2008 ・0 comments ・Topic: अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध बूँद बूँद ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर - फिर यही जी में लगी , आह ! क्यों घर छोड़कर म... Read post