खिसक गयी है धूप पैताने से धीरे-धीरे खिसक गयी है धूप। सिरहाने रखे हैं पीले गुलाब। क्या नहीं तुम्हें भी दिखा इनका जोड़- दर्द तुम में भी उभरा? सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" विश्वेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय। नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
हिन्दी की प्रसिद्ध रचनाओं का सन्कलन Famous compositions from Hindi Literature