#1 मई 27, 2010 ・1 comments ・Topic: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" खिसक गयी है धूप पैताने से धीरे-धीरे खिसक गयी है धूप। सिरहाने रखे हैं पीले गुलाब। क्या नहीं तुम्हें भी दिखा इनका जोड़- दर्द तुम में ... Read post