#1

अमीर खुसरो की रचनाएँ - 2

दिसंबर 31, 2016 ・0 comments
खुसरो दरिया प्रेम का, सो उलटी वा की धार,  जो उबरो सो डूब गया, जो डूबा हुवा पार। अमीर खुसरो की रचनाएँ - 2 छाप तिलक सब छीनी रे मो...
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#2

अमीर खुसरो की रचनाएँ - 1

दिसंबर 30, 2016 ・0 comments
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए, अजहुँ न आए स्वामी हो ऐ जो पिया आवन कह गए अजुहँ न आए। अजहुँ न आए स्वामी हो। स्वामी हो, स्वामी हो। आवन कह ...
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#3

अग्निरेखा (टकरायेगा नहीं)

दिसंबर 29, 2016 ・0 comments
टकरायेगा नहीं आज उद्धत लहरों से, कौन ज्वार फिर तुझे पार तक पहुँचायेगा ? अब तक धरती अचल रही पैरों के नीचे, फूलों की दे ओट सुरभि के...
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#4

आज का विचार

दिसंबर 21, 2016 ・0 comments
हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।  - मैथिलीशरण गुप्त।
आज का विचार
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#5

हिंदी साहित्य की कालजयी और आधुनिक प्रसिद्ध रचनायें - कविता

दिसंबर 21, 2016 ・0 comments
काव्य नाटक अंधायुग - धर्मवीर भारती   कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ कामायनी - जयशंकर प्रसाद राम की शक्ति पूजा - सूर्यकांत त्रिप...
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#6

हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ | जो तुम आ जाते एक बार | Jo Tum AA Jate Ek Bar

दिसंबर 19, 2016 ・0 comments
विरहपूर्ण गीतों की गायिका महादेवी वर्मा आधुनिक युग की मीरा कही जाती है। महादेवी वर्मा  (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधि...
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#7

हिंदी साहित्य की कालजयी और आधुनिक प्रसिद्ध रचनायें - उपन्यास

दिसंबर 19, 2016 ・0 comments
शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय  देवदास शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्...
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#8

हिंदी साहित्य की कालजयी और आधुनिक प्रसिद्ध रचनायें - कहानी

दिसंबर 18, 2016 ・0 comments
उसने कहा था – चंद्रधर शर्मा गुलेरी हार की जीत – सुदर्शन 'ठाकुर का कुआं', 'सवा सेर गेहूँ', 'मोटेराम का सत्याग्रह'...
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#9

Tehreer...Munshi Premchand Ki | तहरीर मुंशी प्रेमचंद की

दिसंबर 11, 2016 ・0 comments
मुंशी प्रेमचंद : जन्म- 31 जुलाई, 1880 - मृत्यु- 8 अक्टूबर, 1936 प्रेमचंद एक क्रांतिकारी रचनाकार थे, उन्होंने न केवल देशभक्ति बल्कि समाज म...
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#10

मेरे भारत मेरे स्वदेश

दिसंबर 10, 2016 ・0 comments
मेरे भारत मेरे स्वदेश    तू चिर-प्रशांत, तू चिर-अजेय, सुर-मुनि-वन्दित, स्थित, अप्रमेय हे सगुन ब्रह्म, वेदादि गेय! हे चिर-अनादि! हे चिर-अशेष...
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#11

पूस की रात

दिसंबर 10, 2016 ・0 comments
64KBPS M3U  हल्कू ने आकर स्त्री से कहा-सहना आया है, लाओ, जो रुपए रखे हैं, उसे दे दूँ। किसी तरह गला तो छूटे। मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पी...
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