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हिंदी साहित्य की कालजयी और आधुनिक प्रसिद्ध रचनायें - कविता

दिसंबर 21, 2016 ・0 comments
काव्य नाटक अंधायुग - धर्मवीर भारती   कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ कामायनी - जयशंकर प्रसाद राम की शक्ति पूजा - सूर्यकांत त्रिप...
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#2

दिव्य प्रेम की यह अमरगाथा

नवंबर 14, 2015 ・0 comments
नवयौवना का सा श्रृंगार प्रकृति, नव निश्छल बहता जा प्रेम पथिक । धरा अजर अमर सी वसुंधरा, रस आनन्दित विभोर हुई ।। सरस रस की कोख में द्रवित,...
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#3

प्राप्ति

अप्रैल 29, 2015 ・0 comments
तुम्हें खोजता था मैं, पा नहीं सका, हवा बन बहीं तुम, जब मैं थका, रुका । मुझे भर लिया तुमने गोद में, कितने चुम्बन दिये, मेरे मानव-म...
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#4

जब तक जाना खुद को ...

जून 11, 2012 ・0 comments
जब  तक जाना  खुद   को, देर बहुत होगई थी. वक़्त  कैसे  फ़िसला  हाथ  से, सुइया  तो अबभी  वहीँ  थमी  थी. समझ  के  जिसको  अपना  इठला  रह...
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#5

कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है झोंका हवा का देखो क्या गुल खिला रहा है. पागल है सोच मेरी, पागल है मन भी मेरा बेपर वो शोख़ियों मे...
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#6

इतने ऊँचे उठो

फ़रवरी 10, 2008 ・0 comments
       इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से ज...
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#7

सब उन्नति का मूल कारण

फ़रवरी 06, 2008 ・0 comments
    निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल । अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै ...
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#8

फ़रवरी 05, 2008 ・0 comments
लो याद आगई वो पहली कविता जो हमने बचपन मे पढी थी, याद आई आप को ................... " उ ठो लाल अब आंखें खोलो पानी...
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