#1 मेरे भारत मेरे स्वदेश दिसंबर 10, 2016 ・0 comments ・Topic: गुलाब खंडेलवाल मेरे भारत मेरे स्वदेश तू चिर-प्रशांत, तू चिर-अजेय, सुर-मुनि-वन्दित, स्थित, अप्रमेय हे सगुन ब्रह्म, वेदादि गेय! हे चिर-अनादि! हे चिर-अशेष... Read post