#1

प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर!

सितंबर 11, 2018 ・0 comments
 ~~~~ प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर! प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर! दुख से आविल सुख से पंकिल, बुदबुद् से स्वप्नों से फेनिल, बहता है युग-...
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#2

अग्निरेखा (टकरायेगा नहीं)

दिसंबर 29, 2016 ・0 comments
टकरायेगा नहीं आज उद्धत लहरों से, कौन ज्वार फिर तुझे पार तक पहुँचायेगा ? अब तक धरती अचल रही पैरों के नीचे, फूलों की दे ओट सुरभि के...
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#3

हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ | जो तुम आ जाते एक बार | Jo Tum AA Jate Ek Bar

दिसंबर 19, 2016 ・0 comments
विरहपूर्ण गीतों की गायिका महादेवी वर्मा आधुनिक युग की मीरा कही जाती है। महादेवी वर्मा  (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधि...
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#4

अधिकार | Adhikar by Mahadevi Verma

नवंबर 15, 2015 ・0 comments
वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुर्झाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना; वे नीलम के मेघ, नहीं जिनको है घुल जाने क...
अधिकार | Adhikar by Mahadevi Verma
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#5

मां के ठाकुर जी भोले हैं

जून 18, 2012 ・0 comments
ठंडे पानी से नहलाती ठंडा चन्दन उन्हें लगाती उनका भोग हमें दे जाती तब भी कभी न बोले हैं मां के ठाकुर जी भोले हैं। -- महादेवी वर्मा
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#6

जब यह दीप थके

फ़रवरी 05, 2008 ・1 comments
छायावादी युग की प्रमुख स्तंभ तथा आधुनिक मीरा के नाम से जाने जानी वाली कवियत्री द्वारा रचित जब यह दीप थके जब यह दीप थके ज...
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