अमीर खुसरो की रचनाएँ - 2

दिसंबर 31, 2016 ・0 comments

खुसरो दरिया प्रेम का, सो उलटी वा की धार, जो उबरो सो डूब गया, जो डूबा हुवा पार।



अमीर खुसरो की रचनाएँ - 2


छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

प्रेम बटी का मदवा पिलाइके

मतवाली कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ

बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा

अपनी सी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

खुसरो निजाम के बल बल जाए

मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

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