#1

होली है

मार्च 20, 2008 ・0 comments
होली है
होली है
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#2

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का

मार्च 17, 2008 ・1 comments
समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का 'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का गर शैख़ो-बहरमन सुनें अफ़साना किसी का माबद न रहे काब-ओ-बुत...
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#3

यादें थी कि आज भी उतनी हसीं

मार्च 17, 2008 ・0 comments
एक वक्त था जब वक्त कटता नही था उ नकी याद आने के बाद एक वक्त है आज , जब वक्त कट जाता है उनकी याद आने के बाद ...
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#4

दिन बसन्त के

मार्च 09, 2008 ・0 comments
दिन बसन्त के राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के आए हो हिम के दिन बीतते दिन बसन्त के पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर नई क...
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#5

यह दीप अकेला स्नेह भरा

मार्च 03, 2008 ・2 comments
यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता पर इसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा पनडुब्बा : ये मोती सच्चे ...
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#6

अमीर खुसरो

फ़रवरी 29, 2008 ・2 comments
  छाप-तिलक तज दीन्हीं रे तोसे नैना मिला के । प्रेम बटी का मदवा पिला के, मतबारी कर दीन्हीं रे मोंसे नैना मिला के । खुसरो निज़ाम पै बल...
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#7

फ़रवरी 29, 2008 ・0 comments
चिट्ठाजगत Tags: ब्रज मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ ...
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