#2 समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का मार्च 17, 2008 ・1 comments ・Topic: अकबर इलाहाबादी समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का 'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का गर शैख़ो-बहरमन सुनें अफ़साना किसी का माबद न रहे काब-ओ-बुत... Read post
#3 यादें थी कि आज भी उतनी हसीं मार्च 17, 2008 ・0 comments एक वक्त था जब वक्त कटता नही था उ नकी याद आने के बाद एक वक्त है आज , जब वक्त कट जाता है उनकी याद आने के बाद ... Read post
#4 दिन बसन्त के मार्च 09, 2008 ・0 comments ・Topic: ठाकुरप्रसाद सिंह पिछली रात को .... बसंत हिन्दी दिन बसन्त के राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के आए हो हिम के दिन बीतते दिन बसन्त के पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर नई क... Read post
#5 यह दीप अकेला स्नेह भरा मार्च 03, 2008 ・2 comments ・Topic: अज्ञेय यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता पर इसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा पनडुब्बा : ये मोती सच्चे ... Read post
#6 अमीर खुसरो फ़रवरी 29, 2008 ・2 comments ・Topic: अमीर खुसरो छाप-तिलक तज दीन्हीं रे तोसे नैना मिला के । प्रेम बटी का मदवा पिला के, मतबारी कर दीन्हीं रे मोंसे नैना मिला के । खुसरो निज़ाम पै बल... Read post
#7 फ़रवरी 29, 2008 ・0 comments ・Topic: ब्रज रसखान चिट्ठाजगत Tags: ब्रज मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ ... Read post