#1

दिन बसन्त के

मार्च 09, 2008 ・0 comments
दिन बसन्त के राजा-रानी-से तुम दिन बसन्त के आए हो हिम के दिन बीतते दिन बसन्त के पात पुराने पीले झरते हैं झर-झर कर नई क...
Read post
#2

दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था दो चार तीलियों पे ही कितना गुमान था. जब तक कि दिल में तेरी यादें जवांन थीं छोटे से एक घर...
Read post
#3

पिछली रात को ....

फ़रवरी 07, 2008 ・2 comments
इंतजार जैसे उसका इमान हो कुछ एसे ही वो इंतजार करता रहा उस लहर का, जो छोड़ गयी थी कल रात कुछ सीपिया तो कुछ मोती जैसे कदमो के निशां लहरों का क्...
Read post