आज होली है


~भारतेंदु हरिश्चंद्र~

गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में ।

बुझे दिल की लगी भी तो ए याए होली में ।।


नहीं यह है गुलाले सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे,

य आशिक ही है उमड़ी आहें आतिशबार होली में ।


गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो,

मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में ।


है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुच है,

बने हो ख़ुद ही होली तुम ए दिलदार होली में ।


रसा गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी,

नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में ।


~जयशंकर प्रसाद~


बरसते हो तारों के फूल

छिपे तुम नील पटी में कौन?

उड़ रही है सौरभ की धूल

कोकिला कैसे रहती मीन।


चाँदनी धुली हुई हैं आज

बिछलते है तितली के पंख।

सम्हलकर, मिलकर बजते साज

मधुर उठती हैं तान असंख।


तरल हीरक लहराता शान्त

सरल आशा-सा पूरित ताल।

सिताबी छिड़क रहा विधु कान्त

बिछा हैं सेज कमलिनी जाल।


पिये, गाते मनमाने गीत

टोलियों मधुपों की अविराम।

चली आती, कर रहीं अभीत

कुमुद पर बरजोरी विश्राम।


उड़ा दो मत गुलाल-सी हाय

अरे अभिलाषाओं की धूल।

और ही रंग नही लग लाय

मधुर मंजरियाँ जावें झूल।


विश्व में ऐसा शीतल खेल

हृदय में जलन रहे, क्या हात!

स्नेह से जलती ज्वाला झेल

बना ली हाँ, होली की रात॥

~मीराबाई~

राग होरी सिन्दूरा

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥

बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥

सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥

घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥


होली

~~सूरदास~~

हरि संग खेलति हैं सब फाग।

इहिं मिस करति प्रगट गोपी: उर अंतर को अनुराग।।
सारी पहिरी सुरंग, कसि कंचुकी, काजर दे दे नैन।
बनि बनि निकसी निकसी भई ठाढी, सुनि माधो के बैन।।
डफ, बांसुरी, रुंज अरु महुआरि, बाजत ताल मृदंग।
अति आनन्द मनोहर बानि गावत उठति तरंग।।
एक कोध गोविन्द ग्वाल सब, एक कोध ब्रज नारि।
छांडि सकुच सब देतिं परस्पर, अपनी भाई गारि।।
मिली दस पांच अली चली कृष्नहिं, गहि लावतिं अचकाई।
भरि अरगजा अबीर कनक घट, देतिं सीस तैं नाईं।।
छिरकतिं सखि कुमकुम केसरि, भुरकतिं बंदन धूरि।
सोभित हैं तनु सांझ समै घन, आये हैं मनु पूरि।।
दसहूं दिसा भयो परिपूरन, सूर सुरंग प्रमोद।
सुर बिमान कौतुहल भूले, निरखत स्याम बिनोद


~~मीराबाई~~
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।
होली खेल्यां स्याम संग रंग सूं भरी, री।।
उडत गुलाल लाल बादला रो रंग लाल।
पिचकाँ उडावां रंग रंग री झरी, री।।
चोवा चन्दण अरगजा म्हा, केसर णो गागर भरी री।
मीरां दासी गिरधर नागर, चेरी चरण धरी री।।


होली है


होली है