#1

अमीर खुसरो

फ़रवरी 29, 2008 ・2 comments
  छाप-तिलक तज दीन्हीं रे तोसे नैना मिला के । प्रेम बटी का मदवा पिला के, मतबारी कर दीन्हीं रे मोंसे नैना मिला के । खुसरो निज़ाम पै बल...
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#2

फ़रवरी 29, 2008 ・0 comments
चिट्ठाजगत Tags: ब्रज मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ ...
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#3

कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है झोंका हवा का देखो क्या गुल खिला रहा है. पागल है सोच मेरी, पागल है मन भी मेरा बेपर वो शोख़ियों मे...
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#4

हमने पाया तो बहुत कम है बहुत खोया है......

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
हमने पाया तो बहुत कम है बहुत खोया है दिल हमारा लबे-दरिया पे बहुत रोया है. कुछ न कुछ टूटके जुड़ता है यहाँ तो यारो हमने टूटे हु...
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#5

आओ मुक़ाबला करें

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
  उसे यह फ़िक्र है हरदम तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है हमें यह शौक है देखें सितम की इंतहा क्या है दहर  से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख  से क...
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#6

दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था

फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments
दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था दो चार तीलियों पे ही कितना गुमान था. जब तक कि दिल में तेरी यादें जवांन थीं छोटे से एक घर...
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#7

सखि, वसन्त आया

फ़रवरी 14, 2008 ・1 comments
  सखि, वसन्त आया भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया। किसलय-वसना नव-वय-लतिका मिली मधुर प्रिय उर-तरु-पतिका मधुप-...
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