आओ मुक़ाबला करें
उसे यह फ़िक्र है हरदम तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है
हमें यह शौक है देखें सितम की इंतहा क्या है
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें,
चर्ख से क्यों ग़िला करें
सारा जहां अदु सही, आओ मुक़ाबला करें ।
---सरदार भगत सिंह
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Tippadiya :
- तर्ज़-ए-ज़फ़ा = अन्याय, दहर = दुनिया, चर्ख = आसमान, अदु = दुश्मन
- दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी खुस्बू ए वतन आएगी । - ट्रायल के दौरान दिया गया उनका यह मशहूर बयान: http://www.raviwar.com/news.asp?c3
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