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दिव्य प्रेम की यह अमरगाथा
नवंबर 14, 2015 ・0 comments ・Topic: कविता काव्य संग्रह Abhay Srivastava
नवयौवना का सा श्रृंगार प्रकृति, नव निश्छल बहता जा प्रेम पथिक । धरा अजर अमर सी वसुंधरा, रस आनन्दित विभोर हुई ।। सरस रस की कोख में द्रवित,...
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