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कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है
फ़रवरी 17, 2008 ・0 comments ・Topic: कविता काव्य संग्रह देवी नांगरानी
कलियों के होंट छूकर वो मुस्करा रहा है झोंका हवा का देखो क्या गुल खिला रहा है. पागल है सोच मेरी, पागल है मन भी मेरा बेपर वो शोख़ियों मे...
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