Blog jagat me प्रणय गीत
अप्रैल 27, 2012 ・0 comments ・Topic: कवि कुलवंत सिंह गीत प्रणय गीत सुनहरे
गीत प्रणय का अधर सजा दो । स्निग्ध मधुर प्यार छलका दो ।
अनुराग मृदुल शिथिल अंग,
रोम रोम मद पान करा दो ।
गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
और आखिर में मयंक की लिखी पंक्तिया:
कोमलता अपनाने वाले, गीत प्रणय के गाते हैं।
काँटों में मुस्काने वाले, सबसे ज्यादा भाते हैं।।
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ये गीत लिखा है कवि कुलवंत सिंह बहुत ही भावनाओं से ओतप्रेत है यह गीत.
कुछ और पंक्तिया देखें :
नंदन कानन कुसुम मधुर गंध,
तारक संग शशि नभ मलंद,अनुराग मृदुल शिथिल अंग,
रोम रोम मद पान करा दो ।
गीत प्रणय का अधर सजा दो ।
पूरा गीत पढ़ने केलिए जाएँ : गीत सुनहरे
प्रीत रीत का सूरज चमकेतन मन रूह सोने सी दमकेगम की सन्धया जाए बीतलौट आए जो बिछुड़ा मीतमीत से मिलने पर गम की सांझ बीत जाने की बात करते समय, प्रीत का सूरज चमकने की आशा जगती ये पंक्तिया प्रशंनीय है.
और आखिर में मयंक की लिखी पंक्तिया:
कोमलता अपनाने वाले, गीत प्रणय के गाते हैं।
काँटों में मुस्काने वाले, सबसे ज्यादा भाते हैं।।
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