राजकुमार कुंभज

फ़रवरी 12, 2013 ・0 comments

राजकुमार कुंभज
जन्म: 12 फ़रवरी 1947
जन्म स्थान इन्दौर, मध्यप्रदेश
कुछ प्रमुख कृतियाँ बारह कविता-संग्रह
     अभिभूति
    आकांक्षा-पूर्ति के लिए
    आजकल का वसन्त
    आते-आते ही
    इस पार-उस पार दीवार के
    एक लौ बची रहेगी
    कविता एक स्नेहिल क्रीड़ा है
    काँच के परदे हैं  
    गर आग की जगह पानी  
    जिधर पल-प्रतिपल प्रेम है  
    तो फिर आज ही क्यों नहीं  
    दीवारें तोड़ता है वसन्त  
    दुख के होते हैं कई प्रकार  
    दुख ही सुख का सपना  
    धूप और जड़ों के बीच  
    बसन्त का प्रकार  
    बुद्धूराम  
    भूखों का कैसा हो वसन्त
    मुझे मृत्यु से डर कैसा? 
    मेरा दुख और मेरा संकट 
    मेरी लौ  
    मैं चुप हो गया 
    मौसम नहीं बदलते हैं 
    यह सब देखने से पहले
    ये नहीं है सही वक़्त  
    रात की स्मृति में दिन है 
    लिखूँगा, फिर-फिर लिखूँगा चीरकर कलेजा
    वह क्या है-2
    वह क्या है
    वह दिन भी आ ही गया
    शतरंज खेलो और प्रेम करो
    सिर्फ़ एक दिन का जीवन
    सौ सुखों से सौ गुना बढ़कर
    हौसला है तो वार कर 

एक टिप्पणी भेजें

हिन्दी की प्रसिद्ध कवितायें / रचनायें
Published on http://rachana.pundir.in

If you can't commemt, try using Chrome instead.