प्रकाश फ़िक्री
सितंबर 06, 2018 ・0 comments ・Topic: एक ज़रा सी बारिश प्रकाश फ़िक्री सफ़र सितारा
प्रकाश फ़िक्री
(1930-2008, रांची, भारत)
(ज़हीरुल हक़)
आधुनिक उर्दू शायर
किताबें: सफ़र सितारा और एक ज़रा सी बारिश
(1930-2008, रांची, भारत)
(ज़हीरुल हक़)
आधुनिक उर्दू शायर
किताबें: सफ़र सितारा और एक ज़रा सी बारिश
- आँधियाँ आती हैं और पेड़ गिरा करते हैं
- आँख पत्थर की तरह अक्स से ख़ाली होगी
- अजीब रुत है दरख़्तों को बे-ज़बाँ देखूँ
- चाँदी जैसी झिलमिल मछली पानी पिघले नीलम सा
- दुश्मनी की इस हवा को तेज़ होना चाहिए
- एहसास-ए-ज़ियाँ चैन से सोने नहीं देता
- हवा से उजड़ कर बिखर क्यूँ गए
- हवा से ज़र्द पत्ते गिर रहे हैं
- जिस का बदन गुलाब था वो यार भी नहीं
- कहाँ कहाँ से गुज़र रहा हूँ
- काली रातों में फ़सील-ए-दर्द ऊँची हो गई
- ख़ुनुक हवा का ये झोंका शरार कैसे हुआ
- किसी का नक़्श अंधेरे में जब उभर आया
- मुझे तो यूँ भी इसी राह से गुज़रना था
- पहाड़ों से उतरती शाम की बेचारगी देखें
- रफ़्ता रफ़्ता सब मनाज़िर खो गए अच्छा हुआ
- रंगीन ख़्वाब आस के नक़्शे जला भी दे
- साथ दरिया के हम भी जाएँ क्या
- शबनम भीगी घास पे चलना कितना अच्छा लगता है
- तेरी सदा की आस में इक शख़्स रोएगा
- वो राब्ते भी अनोखे जो दूरियाँ बरतें
- ज़र्द पेड़ों पे शाम है गिर्यां
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