दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा

दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा

दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा

बस तेरा नाम ही लिखा देखा


तेरी आँखों में हमने क्या देखा

कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा

 

अपनी सूरत लगी पराई सी

जब कभी हमने आईना देखा  


सुदर्शन फ़ाकिर 




दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा,

बस तेरा नाम ही लिखा देखा।


ये दीवार-ओ-दर तो अजनबी सी थी,

जब तक तेरा नाम नहीं था उभरा।


तेरी आँखों में हमने क्या देखा,

कभी कातिल कभी ख़ुदा देखा।


तेरे नज़रों में दुनिया की हर चीज़,

दिखाई देती है जैसे रूह से ही देखी हो।


अपनी सूरत लगी पराई सी,

जब कभी हमने आईना देखा।


तेरी आँखों में देखते ही नज़रे उठा दी,

हमसे रूठ कर जब तुमने आँखें फेरीं।


दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा,

बस तेरा नाम ही लिखा देखा।

टिप्पणियाँ