वर दे, वीणावादिनि वर दे। प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव भारत में भर दे। काट अंध उर के बंधन स्तर बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर कलुष भेद तम हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे। नव गति नव लय ताल छंद नव नवल कंठ नव जलद मन्द्र रव नव नभ के नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे। वर दे, वीणावादिनि वर दे। सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
हिन्दी की प्रसिद्ध रचनाओं का सन्कलन Famous compositions from Hindi Literature