सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा

अप्रैल 05, 2008 ・1 comments

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुलें है इस की, यह गुलसितां हमारा

घुर्बत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हैं जहाँ हमारा

परबत वोह सब से ऊँचा, हमसाया आसमान का
वोह संतरी हमारा, वोह पस्बन हमारा

गोदी में खेलती हैं इस की हजारों नदिया
गुलशन है जिन के दम से, रश्क-ऐ-जनन हमारा

आये अब, रूद, गंगा, वोह दिन हें यद् तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बयर रखना
हिन्दवी है हम, वतन है हिन्दोस्तान हमारा

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नम-ओ-निशान हमारा

कुछ बात है कह हस्ती, miṭati नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ऐ-ज़मान हमारा

इकबाल कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ऐ-निहां हमारा

---इकबाल

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