"उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है,
सुख नहीं धर्म भी नहीं न तो दर्शन है,
विज्ञान ज्ञान बल नही न तो चिंतन है,
जीवन का अन्तिम ध्येय स्वयं जीवन है."
रामधारी सिंह दिनकर
हिन्दी साहित्य का खज़ाना
वैसे तो आपकी हर अदा से वाकिफ़ है दिलदारा
डरते है जब इश्क़ में इम्तेहान देने की बात हो |