सूरत पे तोरी नंदलाला ओ मैं वारी जाऊँ

 




सूरत पे तोरी नंदलाला ओ मैं वारी जाऊँ 


बिनरावन री कुंजगल्यों में राम रचावे घनश्याम 


जमना री तट पे प्रभू धेनु चरावे ग्वाल बाल और संग में रहेवे 


मुरली पे तोरी नंदलाला मैं 


डावां जो नख पें प्रभू गिरिधर धारयो इन्द्र का मान घटाए 


द्रौपदी सखी री प्रभू लज्जा जो राखी छन में यो चीर बढाय 


बाई 'मीराँ के प्रभू गिरिधर नागर हरख निरख गुन गाय