प्रकाश फ़िक्री (1930-2008, रांची, भारत) (ज़हीरुल हक़) आधुनिक उर्दू शायर किताबें: सफ़र सितारा और एक ज़रा सी बारिश आँधियाँ आती हैं और पेड़ गिरा करते हैं आँख पत्थर की तरह अक्स से ख़ाली होगी अजीब रुत है दरख़्तों को बे-ज़बाँ देखूँ चाँदी जैसी झिलमिल मछली पानी पिघले नीलम सा दुश्मनी की इस हवा को तेज़ होना चाहिए एहसास-ए-ज़ियाँ चैन से सोने नहीं देता हवा से उजड़ कर बिखर क्यूँ गए हवा से ज़र्द पत्ते गिर रहे हैं जिस का बदन गुलाब था वो यार भी नहीं कहाँ कहाँ से गुज़र रहा हूँ काली रातों में फ़सील-ए-दर्द ऊँची हो गई ख़ुनुक हवा का ये झोंका शरार कैसे हुआ किसी का नक़्श अंधेरे में जब उभर आया मुझे तो यूँ भी इसी राह से गुज़रना था पहाड़ों से उतरती शाम की बेचारगी देखें रफ़्ता रफ़्ता सब मनाज़िर खो गए अच्छा हुआ रंगीन ख़्वाब आस के नक़्शे जला भी दे साथ दरिया के हम भी जाएँ क्या शबनम भीगी घास पे चलना कितना अच्छा लगता है तेरी सदा की आस में इक शख़्स रोएगा वो राब्ते भी अनोखे जो दूरियाँ बरतें ज़र्द पेड़ों पे शाम है गिर्यां
हिन्दी की प्रसिद्ध रचनाओं का सन्कलन Famous compositions from Hindi Literature